कसोल मनाली: दोस्तों के साथ
यात्रा की डायरी
लेखक -
सूर्यांश बृजेश गुप्ता
नमस्कार, सभी का मन करता है एक बार अपने दोस्तों
के साथ पहाड़ों में जाने का खासकर की मनाली या
कसोल जैसी जगह और मुझे यह मौका मिल चुका था 15 फरवरी 2024 को और वह मौका मुझे हमेशा यादगार रहेगा इस ब्लॉग में मैं अपनी इस यादगार ट्रिप के बारे
में बताऊंगा पर पहले में अपना परिचय देना चाहता हूं मेरा नाम
सूर्यांश गुप्ता है मैं खरगोन का रहने वाला हूं मेरी उम्र 19 साल है मैं 22 दिसंबर 2004 को इंदौर में पैदा
हुआ था मुझे बैडमिंटन खेलने और घूमना बहुत पसंद है मेरा जन्म एक
संयुक्त परिवार में हुआ है मैं अपने परिवार
में सबसे ज्यादा खेलकूद में आगे हूं और दूसरी तरफ पढ़ाई
में सबसे पीछे हूं उसके बावजूद भी मैं
अपने घर की सारी जिम्मेदारियां का पालन करता हूं
पहला दिन एक बेनेट यूनिवर्सिटी से दिल्ली तक का सफर
जैसे कि मैंने आपको बताया है मुझे घूमना बहुत पसंद है इसी घूमने के शौक को बढ़ाते हुए मैं अपनी दूसरी ट्रिप पे निकल गया मुझे पहाड़ों में घूमना बहुत पसंद है इसलिए मैंने अपनी अगली ट्रिप के लिए कसोल मनाली जैसी जगह चुनी थी तो हम 15 फरवरी को आखिरकार मेरे सात दोस्तों के साथ कसोल की ओर निकल गए हमने 14 फरवरी को दिल्ली से 15 तारीख की बस बुक कर ली थी फिर 15 फरवरी को हमने बेनेट यूनिवर्सिटी से दिल्ली की केब करी थी फिर हम 7 दोस्त उसे कैब में बैठकर दिल्ली के लिए निकल गए थे उस समय दिल्ली में किसानों का आंदोलन चल रहा था इस कारण कैब वाले ने हमसे ज्यादा पैसे लिए थे फिर भी हमने कैब करी क्योंकि हम बस के लिए लेट हो रहे थे हमें लगा था कि किसान आंदोलन के कारण हम दिल्ली पहुंचने में लेट हो जाएंगे पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और हम समय से 2 घंटे पहले कश्मीरी गेट पहुंच गए थे फिर हमने कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन के नीचे मैकडॉनल्ड'एस पर बर्गर खाया था वहां पर हमने दोस्तों के साथ बैठकर 1 घंटे गपशप करी थी फिर हम बस के लिए 500 मीटर दूर उसके बस स्टैंड पर चल कर गए थे फिर वहां जाकर हमें पता लगा कि हमारे बस एक घंटे लेट थी उसके बाद हम वहीं पर बैठकर थोड़ा टाइम पास करने लग गए फिर थोड़ी देर बाद जैसे ही बस आ गई हम सब जाकर उसमें बैठ गए हमारी सीट सबसे आखरी वाली थी वहां जाकर हम सब बैठ गए और स्पीकर निकाल के गाने बजाने लग गए फिर थोड़ी देर बाद ही हमारी बस निकल जाती है बस में ज्यादातर कॉलेज के बच्चे ही रहते हैं बस में गाने के मजे लेते हुए और दोस्तों के साथ गपशप करते हुए कब 5 घंटे निकल गए और हमें पता ही नहीं लगा उसके बाद बस ने एक स्टॉप लिया था करनाल के पास में वहां पर हमने भरपेट खाना खाया था फिर हम आधे घंटे में खाना खाकर वहां से निकल गए थे फिर हमें पता चला कि आगे अंबाला के पास किसान आंदोलन कर रहे थे फिर हमारी बस वहां से मुड़ गई और दूसरा रास्ता पकड़ लिया फिर उस रास्ते पर हम चलकर कसोल पहुंच गए.
दूसरा दिन पार्वती वाली का भ्रमण
हम 16 को सुबह 8:00 बजे कसोल पहुंच गए
थे हमने एक हॉस्टल बुक किया था जो कि कसोल से 3 से 4 किलोमीटर दूर था
उसका रास्ता जंगल से होते हुए जाता था तो हमें 3 से 4 किलोमीटर की ट्रैक
करके होटल तक पहुंचना था रास्ते में हमें बहुत सारे कुत्ते मिले जो हमारा पीछा
करने लग गए पर वह कुत्ते बहुत अच्छे थे उसने हमारा साथ हमारे हॉस्टल तक दिया था
फिर 1 घंटे में हम हॉस्टल पहुंच गए थे वह हॉस्टल पार्वती वैली के पास में था हॉस्टल पहुंचने के बाद हमने हमारे रूम में चेक in किया
फिर चेक इन करने के बाद हमने हमारा हॉस्टल घूमा था हॉस्टल बहुत बड़ा था हॉस्टल
पूरा घूमने के बाद हम पास में पार्वती नदी के साइड में जाकर बैठ गए थे फिर हम कुछ
खाने के लिए कसोल चले गए थे कसोल जाने के लिए हमें 1 किलोमीटर चलकर रोड
तक जाना पड़ा फिर रोड पर जाकर हमें लोकल बस पकड़ कर कसोल तक पहुंच गए फिर हमने
कसोल जाकर हमने हिल साइड रेस्टोरेंट में कुछ खाया फिर हम वापस हमारे हॉस्टल की तरफ
निकल गए हॉस्टल अपने रूम में जाकर हमने गाने बजाए डांस किया फिर रात होने के बाद
हमने लाइव म्यूजिक शो देखा जो कि हमारे हॉस्टल में ही था फिर हमने कुछ खाया जो कि बहुत
महंगा पड़ा हमको पर वह हमारे दोस्त विस्मय की बर्थडे पार्टी में शामिल हो गया
था इसलिए उस भोजन का हमें पैसा नहीं देना पड़ा फिर रात में हमने बॉनफायर के पास में
बैठ के अपने हाथ सेके फिर हम अपने रूम पर चले गए और गाने बजा और फिर हम सो गए
तीसरे दिन बाइक राइड
फिर अगले दिन हम सुबह 10:00 बजे उठकर ब्रेकफास्ट करके बाइक रेंट करने चले गए बाइक रेंट करने के बाद हम बाइक से तोष की तरफ चले गए तोष में तब तापमान माइंस में था और वहां पर बर्फ थी वहां पर पहुंचने में हमें 2 से 3 घंटे की बाइक राइड करनी पड़ी वहां पहुंचने के बाद हमें हर तरफ बर्फीले पहाड़ दिखे वहां पहुंचकर हमने कोई से कैफे में जाकर मोमोज और मैगी खाई फिर हम वापस कसोल की तरफ निकल गए कसोल में जाकर हम कोई से भी कैफे मैं जाकर कुछ थोड़ा बहुत खाना खाया फिर हम वापस अपने हॉस्टल की तरफ निकल गए हॉस्टल पहुंचकर हमने रूम में जाकर थोड़ा आराम किया फिर रात में जाकर खाना खाया और लाइव म्यूजिक शो देखा फिर हॉस्टल में हमने कुछ गेम खेलें फिर हम जाकर सो गए
चौथा दिन मनाली में बर्फबारी
अगले दिन सुबह उठकर हमने सोचा कि अब हम मनाली की ओर निकल जाते फिर हमने हाथ के हाथ कैब बुक करी और सुबह 10:00 बजे मनाली की और निकल गए दोपहर 1:00 बजे हम मनाली पहुंच गए थे मनाली जाकर हमने सबसे पहले पानी पतासे ब्रेड पकोड़ा खाया था उसके बाद हम होटल देखना निकल गए थे पांच होटल देखने के बाद हमने एक होटल को फाइनल किया और फिर हमने रूम में थोड़ी देर आराम किया थोड़ी देर बाद ही मनाली में बर्फबारी चालू हो जाती है फिर हम माल रोड तरफ चले जाते हैं वहां मुझे मेरी जीवन की पहली बार बर्फ देखने को मिलती है वहां बहुत ठंड लग रही थी इसलिए हमने फटाफट कुछ खाकर वापस होटल जाने का निर्णय लिया था फिर हम वापस होटल चले गए थे फिर हमने रात को आराम किया
दिन 5 मनाली भ्रमण और वापस दिल्ली की ओर
सुबह आराम से उठकर हम वापस मनाली घूमने निकल गए
पर तब भी बर्फबारी और बारिश लगातार हो रही थी फिर हमने उसी दिन की रात की मनाली
से दिल्ली की बस बुक कर ली थी ज्यादा ठंड पड़ने के कारण हमने निर्णय लिया कि मनाली से रात को ही निकालना चाहिए रात को बारिश
तेज होने के कारण 2 किलोमीटर भी हमको
कब से जाना पड़ा बस स्टैंड तक ठंड इतनी थी कि सब काप रहे थे सभी गए थे इसलिए सबको
बहुत ठंड लग रही थी बस में बैठने के बाद ही सबको सुकून मिला बस में बैठते ही सब सो
गए क्योंकि सब बहुत थक गए थे थोड़ी देर बाद बस एक स्टॉप लेती है वहां पर बहुत ठंड
होने के कारण हम बस से नीचे ही नहीं उतरते
हैं फिर सुबह होते ही जैसे ही हम दिल्ली पहुंचे तब जाकर हम सबको ठंड से राहत मिली
फिर हम कब करके वापस अपने कॉलेज आ गए यह ट्रिप मेरे जीवन की सबसे अच्छी ट्रिप थी
इस ट्रिप में मेरे साथ मेरे 6 दोस्त थे सारे
दोस्त मेरे कॉलेज के ही थे स्ट्रिप के बाद से मेरा पहाड़ों की तरफ प्रेम और बढ़
चुका है अब मैं और पहाड़ों को भ्रमण
करना चाहता हूं तो यह थी मेरी कुछ जानकारी अपनी ट्रिप के बारे में मेरी ओर से।
धन्यवाद
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